भगवान विष्णु जी के शक्तिशाली दिव्यास्त्र जिनसे बचना असंभव था । Powerful Weapon (astra) of lord vishnu
भगवान विष्णु जी के शक्तिशाली दिव्यास्त्र जिनसे बचना असंभव था ।Powerful Weapon of lord vishnu
powerful weapon of lord Vishnu
आइये अब जानते हैं विष्णु जी के शक्तिशाली दिव्यस्त्रों के बारे में,
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पुराणों में त्रिमूर्ति मे से एक विष्णु जी को विश्व या जगत का पालनहार कहा गया है। त्रिमूर्ति के अन्य दो रूप ब्रह्मा और शिव जी को माना जाता है। वेदों, पुराणों और ग्रंथों में दी गई जानकारी के अनुसार ब्रह्मा जी संपूर्ण सृष्टि के निर्माता, विष्णु जी पालनकर्ता और शिव जी विध्वंसकर्ता है। सम्पूर्ण सृष्टि के सफल रूप से संचालन में त्रिदेवों की अत्याधिक महत्वपूर्ण भूमिका मिलती है।
कई सारे ऋषियों, मुनियों देवी, देवताओं, मनुष्यों, दैत्यों, असुरों आदि ने इन्हों त्रिदेवों से कई वरदान और शक्तिशाली अस्त्र शस्त्र प्राप्त किए । इस पोस्ट में हम विष्णु जी के शक्तिशाली अस्त्रों और शस्त्रों का वर्णन करेंगे।
तो अब हम बात करते हैं भगवान विष्णु के शक्तिशाली अस्त्रों और शस्त्रों के बारे में
वैष्णव अस्त्र (Vaishnav Astra)- वैष्णव अस्त्र भगवान विष्णु जी के सबसे शक्तिशाली दिव्यास्त्रों में से एक है। इस विध्वंसकारी दिव्यास्त्र का प्रयोग कौरवों की तरफ से युद्ध कर रहे भागदत्त ने अर्जुन के ऊपर किया था लेकिन प्रभु श्री कृष्ण जी ने अर्जुन के आगे आकर ये अस्त्र का प्रहार अपने ऊपर ले लिया और ये अस्त्र प्रभु श्री कृष्ण को स्पर्श करते ही उनके गले में वैजयंती माला के रूप में परिवर्तित हो गया। इस अस्त्र की सबसे खास बात ये थी जी कि ये अस्त्र अभी तक ज्ञात सभी दिव्यास्त्रों में सबसे अधिक तेज था। इस अस्त्र की शक्ति इसकी गति में ही निहित थी। ये अस्त्र धनुष से छोड़े जाने पर आकाश की ओर जाता था और बहुत अधिक तेज गति के साथ वापिस आता था, जिससे शत्रु को सोचने का भी अवसर नहीं मिलता था।
नारायण अस्त्र Narayan Astra)- नारायण अस्त्र भगवान विष्णु जी का सबसे शक्तिशाली दिव्यास्त्र था। यह अस्त्र भगवान नारायण जी का बहुत ही प्रलयंकारी अस्त्र था। यह अस्त्र अपने शत्रु पर कई सारे अन्य अस्त्र - शस्त्र जैसे - गदा, त्रिशूल एवं बाणों आदि से प्रहार करता था। इस अस्त्र से बचने का एक ही उपाय है कि इस अस्त्र के सम्मुख, शत्रु अपने अस्त्र - शस्त्र त्याग कर स्वयं नत मस्तक हो जाए। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो ये नारायण अस्त्र अपने शत्रु की शक्ति का उपयोग करके उसको और अधिक ऊर्जा के साथ शत्रु पर ही वार करता था। रामायण में ये अस्त्र श्री राम और मेघनाद के पास था और वही महाभारत की बात करें महाभारत में यह दिव्यास्त्र गुरु द्रोण और अश्वत्थामा के पास था । कुरुक्षेत्र युद्ध के 15 वें दिन अश्वत्थामा ने नारायण अस्त्र का उपयोग किया था जिससे पांडवों को भारी क्षति पहुंची थी। तब श्री कृष्ण जी ने सभी को उनके अस्त्र त्याग कर नारायण अस्त्र के आगे नत मस्तक होने को कहा तब जाकर ये अस्त्र शांत हुआ।
सुदर्शन चक्र (Sudarshan Chakra) - सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु जी का सबसे शक्तिशाली शस्त्र है । विष्णु जी देवों की रक्षा और दैत्यों के संहार के लिए इस शस्त्र का प्रयोग करते थे। सुदर्शन चक्र के प्रयोग से विष्णु जी ने कई असुरों का संहार किया। सुदर्शन चक्र को भगवान विष्णु जी और श्री कृष्ण जी अपने हाथों में धारण करते हैं । इसका प्रयोग करने पर यह मन की गति से चलता है और यह शत्रु का विनाश करके ही वापिस लौटता है। बताया जाता है कि इसके घूमने की गति इतनी अधिक तेज है कि यह एक सेकंड में लाखों बार घूमता है।
कोमोदकी गदा (Komodaki Gada)- पुराणों में गदा को शक्ति का प्रतीक बताया गया है, दो योद्धाओं के बीच होने वाले शस्त्र युद्घ में गदा का प्रयोग किया जाता था। विष्णु जी की ये गदा भयंकर गर्जना उत्पन्न करती है जिससे शत्रुओं में भय उत्पन्न होता है । इसका प्रहार अत्याधिक शक्तिशाली था और बड़े - बड़े चट्टानों को चकनाचूर कर देता था।
नंदक तलवार (Nandak sword) - भगवान विष्णु जी के पास नंदक तलवार होने का भी वर्णन मिलता है। यह तलवार अत्याधिक शक्तिशाली थी ।
सारंग धनुष (Sarang bow) - सारंग धनुष भगवान विष्णु जी का सबसे शक्तिशाली धनुष है । यह एक दिव्य धनुष है। महाभारत में खांडव वन के दहन के समय यह धनुष श्री कृष्ण जी को प्राप्त हुआ था।
तो मित्रों ये थे विष्णु जी के सबसे शक्तिशाली अस्त्र शस्त्र जिनके बारे में पोस्ट में आपको बता दिया गया है। आपने पोस्ट को अंत तक पढ़ा उसके लिए आपका बहुत बहुत आभार आशा करते हैं ये पोस्ट आपको पसंद आई होगी । अपना कीमती समय निकाल कर ये पोस्ट पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद ।
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